सर्पसूक्त

किसी भी सोमवार से रोज 27 दिनों तक सर्पसूक्त का पाठ करने से होता है, 144 प्रकार के सभी कालसर्प दोषों का नाश, और नागपंचमी के दिन 12 पाठ सर्प सूक्त के करे और सर्प के रात्रि में किसी मिट्ठी के बर्तन में दूध रखे तो, सर्पदोष, कालसर्प दोष, दरिद्र दोष, वंचना चोरभेदी आदि दोष भी दूर हो जाते है। यदि किसी जातक की कुंडली में कोई कालसर्प योग है, और वह उसके निवारण के लिए पहले ही कई उपाय कर चूका है, उसके बाद भी उसके बनते-बनते बिगड़ते है, स्वप्न में सर्प दिखाई देते है, तो उसे अवश्य ही सर्पसूक्त का पाठ करना चाहियें।

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Last updated on : Thu, 30-Mar-2023 Hindi-gujarati

 ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा

इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासु‍कि प्रमुखाद्य: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा

 कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

 सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

 ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला: ।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा ।।

।। इति श्री सर्प सूक्त पाठ  समाप्त ।।